बिना पेड़ों के जीवन की कल्पना करना असंभव
जीवन की सुंदरता बहुगुणा के विचारों से ही सम्भव।
महान पर्यावरणविद और प्रकृतिवादी चिंतक, सामाजिक कार्यकर्ता सुंदरलाल बहुगुणा का निधन ऐसे कालखंड में हुआ जब हिंदुस्तान सहित दुनिया के तमाम देश उनके चिंतन को प्रासंगिक मान रहे है। पेड़ो को कटने से बचाने के लिए उनका पेड़ो से चिपक जाना हमे उनके प्रकृति के प्रति प्रेम और अपनत्व के साथ मानवतावादी विचारों को प्रदर्शित करता है और हमे गहराई के साथ प्रभावित करता है। महामारी के समय मे वृक्षारोपण की वकालत तेजी से हुई यह सभी जानते भी है कि बिना पेड़ो के सहज जीवन की कल्पना करना मुश्किल है लेकिन जैसे यह जानते हुए कि क्या अच्छा और क्या बुरा है वह बुराई नही छोड़ता और अच्छाई नही अपनाता है ठीक उसी प्रकार से वह पेड़ नही लगाता और उसकी देखभाल नही करता है ऐसे में बहुगुणा जी का जीवन पेड़ो के प्रति उनका समर्पण हमे पर्यावरण के प्रति आस्था को और ताकतवर बनाता है। ऐसे महासंकटकाल में हमे किसी पर दोषारोपण करने की जरूरत कम सुंदरलाल बहुगुणा के समर्पित जीवन के एक छोटे से अंश को जीवन मे सम्यक भाव से उतारने की दरकार अधिक है।
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