इंसानियत जिंदा है और जिंदा रहेगी एक दूसरे की जान बचाने के लिए

इंसानियत जिन्दा हैं और जिन्दा रहेंगी --

इंसानियत जिन्दा हैं और जिन्दा रहेंगी 
एक दूसरे की जान बचाने के लिए,
अस्पतालों में खून देने का चलन-कलन जबतक जिन्दा हैं,
सरहदें हो या महामारियों का संकट,
जान बचाने के लिए जान गवांने का जूनून ,जज्बा और जोश जबतक जिन्दा हैं ,
नफरती और खुराफातीं हवाऐं  इस दौर में बहुत तेज चलती हैं ,
पर एक दूसरे से गले मिलने-मिलाने की रवायतें और फ़ितरते जबतक जिन्दा हैं ,
इंसानियत जिन्दा हैं और जिन्दा रहेंगी ।
बमों के धमाके कभी-कभी गूंजते रहते हैं कश्मीर की वादियों में,
पर कश्मीर की क्यारीयों में केसर उगाने वालों की जमात जबतक जिन्दा हैं,
तोप तलवारें और गोलियाँ प्यासी है, एक दूसरे का लहू पीने के लिए,
फिर भी गुलाब गुड़हल गेंदा बोने-उगाने वाले हाथ जबतक जिन्दा हैं,
दौलत के नशे में चूर, बहुत भूखा, प्यासा और नंगा हैं आदमी,
फिर भी गंगा यमुना का पानी जबतक खेत-खलिहानों की प्यास बुझाता रहेगा,
इंसानियत जिन्दा हैं और जिन्दा रहेंगी ।
बहशी दरिन्दों के झुंड में बदलने लगा है आदमी,
पर परिन्दो को अपने छत पर दाना डालने की परम्परा जबतक कायम हैं,
गौरेय्या और परिन्दों बचाने के नारों की गूंज जबतक सडक पर कायम है,
माना कि-अनगिनत झोपड़ियों में घने  अंधेरे कायम हैं,
इन कायम अंधेरों के खिलाफ जबतक चिरागो की जंग कायम हैं,
इंसानियत जिन्दा हैं और जिन्दा रहेंगी ।
अपने करिश्मे अपने चमत्कार के दम से आसमान छूने लगा है आदमी,
पर जमीन पर जिगर में जबतक जमीर जिन्दा हैं,
हर लम्हा फैशन बदलती दुनिया में ओहदे,रुतबे, रसूख और बुलंदियों से पहचाना जाने लगा है आदमी,
फिर भी खुद को इंसान और दूसरे को इंसान समझने का कलेजे में एहसास जिंदा है ,
चालाकियों चतुराईयों ढोंग ढकोसले से जीने लगा है अब आदमी,
फिर भी शराफत, सादगी, ईमानदारी सच्चाई का जबतक कुनबा जिन्दा हैं,
इंसानियत जिन्दा हैं और जिन्दा रहेंगी ।।

मनोज कुमार सिंह ।

Comments

Popular posts from this blog

1971 में भारत-पाकिस्तान युद्ध में शहीद कृष्ण चंद्र शाही को बांग्लादेश सरकार ने भेजा सम्मान पत्र वह शहीद स्मृति चिन्ह

फैक्ट्री में घुसकर दिनदहाड़े हत्या और लूट की नीयत से किया गया हमला

डाक्टर सर्वपल्ली राधाकृष्णन का जन्मदिवस रामस्वरूप भारती इंटर कॉलेज शिवजी मठ भीटी के प्रांगण में शिक्षक दिवस के रूप में धूमधाम से मनाया गया।