राजनैतिक दल पुरानी पेंशन बहाली सहित कर्मचारी हितों को अपने एजेंडे में करें शामिल ,डॉ सरफराज अहमद

*राजनैतिक दल पुरानी पेन्शन बहाली सहित कर्मचारी हितों को अपने एजेंडे में करें शामिल:डा0सरफ़राज़ अहमद*

मऊ:उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव में भले ही राजनीतिक दल विकास और रोजगार के दावों के साथ घोषणा पत्र जारी करें लेकिन लाखों कर्मचारियों के हितों से जुड़ा पुरानी पेंशन का मुद्दा भी इस बार चुनाव में वोट देने का आधार बनेगा।
 प्रदेश में चल रहे चुनाव से पहले कर्मचारियों ने एक बार फिर राजनीतिक दलों की टेंशन बढ़ा दी है कर्मचारियों ने पुरानी पेंशन बहाली एवं कर्मचारी हितों को अपने एजेंडे में शामिल करने की मांग और तेज कर दी है।
उक्त मांगो के समर्थन में फार्मेसिस्ट फेडरेशन ऑफ यूपी के प्रांतीय उपाध्यक्ष डॉ0 सरफ़राज़ अहमद( चीफ फार्मासिस्ट जनपद मऊ) ने सभी राजनैतिक दलों से मांग की है कि इस बार चुनाव में राजनैतिक दल कर्मचारियों की पुरानी पेंशन योजना बहाल करने सहित कर्मचारियों के हितों की मांग को अपने घोषणा पत्र में शामिल करें।साथ ही उन्होंने कर्मचारियों से इस मांग के प्रति सजग और संघर्षशील रहने का आह्वान किया है, साथ ही सभी राजनीतिक दलों से अपील किया है कि कर्मचारियों की समस्याओं का निस्तारण भी उनके एजेंडे में होना चाहिए।उक्त मांगों के समर्थन में डॉ0 सरफराज अहमद ने कहा कि वर्षों से कर्मचारी संगठन अपनी बहुप्रतीक्षित पुरानी पेंशन की बहाली की मांग करते आ रहे हैं जिसको राजनीतिक दलों को प्रमुखता से लेनी चाहिए और कर्मचारी हितों की मांग को अपने एजेंडे में शामिल करना चाहिए। 
उन्होंने कहा कि प्रदेश में चिकित्सा स्वास्थ्य विभाग में हजारों फार्मेसिस्ट पुरानी पेंशन योजना से वंचित हैं जिससे उनका भविष्य अस्थिर और अंधकारमय है। ज्यादातर फार्मेसिस्टो की नियुक्तियां 40 से 45 वर्ष की उम्र के आसपास हुई है, मात्र 15-20 साल सेवा करने के उपरांत उन्हें सेवानिवृत्त हो जाना है। सेवानिवृत्ति के उपरांत उनके भविष्य के लिए पुरानी पेंशन योजना लागू किया जाना न्यायोचित एवं जनहित में है। सरकार को तत्काल सभी कर्मचारियों हेतु पुरानी पेंशन योजना लागू कर कर्मचारियों को बेहतर जीवन जीने का मार्ग परस्त करना चाहिए।
फार्मेसिस्ट फेडरेशन ऑफ यूपी के प्रांतीय उपाध्यक्ष डॉ0 सरफ़राज़ अहमद ने कहा कि प्रदेश सरकार एवं राजनीतिक दल पुरानी पेंशन बहाली को गम्भीरता से लेते हुए पेंशन के साथ ही कर्मचारियों के हितों से संबंधित अन्य मामलों पर भी ध्यान देना चाहिए।

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